भारत के महान गणितज्ञ बौधायन (Baudhayan) का जीवन परिचय और पाइथागोरस प्रमेय का सच

बोधायन (Baudhayan): जिसने अंग्रेजों से 300 साल पहले ही बात दिया था पाइथागोरस प्रमेय  

जिस समय यूरोप और अमेरिका में अंधकार का युग चल रहा था। उस समय भारत में गणित और विज्ञान के क्षेत्र में काफी प्रगति हो रही थी। आज से लगभग 2700 साल पहले भारत की महान धरती पर एक ऐसे महापुरुष का जन्म हुआ जिसने न केवल गणित के क्षेत्र में बल्कि दर्शन के क्षेत्र में अपना महान योगदान दिया। 

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भारत के महान गणितज्ञ बौधायन (Baudhayan) का जीवन परिचय और पाइथागोरस प्रमेय का सच


हम बात कर रहे है बोधायन (Baudhayan) की इनका जन्म 700 BC में वर्तमान बिहार के सीतामढ़ी जिले के बनगांव गोट में कृष्ण द्वादशी को हुआ था। आज भी इस गाव में अपने सपूत को प्रतिवर्ष याद किया जाता हैं। इस गाँव में बोधायन का मंदिर भी स्थित हैं। जहां लोग उनके दर्शन के लिए आते हैं। 

बोधायन (Baudhayan) ने अपने जीवन काल में सैकड़ों ग्रंथों की रचना की जिसमें से बहुत काम ही आज हमारे बीच में मौजूद हैं। बोधायन (Baudhayan) को दुनिया भर में जिस ग्रंथ के लिए पूरी में जाना जाता हैं। उस ग्रंथ का नाम हैं शुल्व सूत्र इस ग्रंथ में ही गणित के वो सारे सूत्रों का वर्णन जिनकी सहायता से आज भी ज्यामिति के सवालों को आसानी से हल किया जा सकता हैं। 

यह बोधायन (Baudhayan) द्वारा रचित सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं इसकी रचना के संबंध मे विद्वान मानते है की इसे 1200 ईसा पूर्व से लेकर 800 ईसा पूर्व यानि आज से 2000 से लेकर 3200 साल पहले लिखी गई। जो की अपने आप में बहुत आश्चर्य की बात हैं। इसमें आयत, वर्ग जैसे की ज्यामिति के समस्याओ को हल करने का पूरा वर्णन किया गया हैं। आगे इसके कुछ महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा भी करेंगे।   

हालांकि जिस समय इसको बनाया गया उस समय इसका प्रयोग धार्मिक काम में आने वाले विभिन्न आकार के यज्ञ कुंड को बनाने में किया जाता था। इसके लिए उस समय रस्सी का उपयोग किया जाता था। इसके द्वारा उस समय जटिल आकार के यज्ञ कुंड को बहुत ही आसानी से बोधायन के सूत्रों के सहायता से बनाया जाता था। 

बोधायन (Baudhayan) प्रमेय या पाइथागोरस प्रमेय


बोधायन (Baudhayan) प्रमेय या पाइथागोरस प्रमेय का सूत्र


बोधायन (Baudhayan) ने यूरोप में पाइथागोरस के लगभग 300 साल पहले ही बता दिया था पाइथागोरस प्रमेय के बारे में। जानकार मानते हैं की ग्रीस का यह दार्शनिक उस समय भारत में आया था। और यह पर उसने जैन धर्म के बारे में जाना और उसी समय ये सूत्र भी भारत से यूरोप चला गया। परंतु इस बात पर सर्वसहमति हैं की इस फार्मूला का उपयोग भारत में सैकड़ों सालों से होता आया हैं।



 

इसके अनुसार यदि किसी समकोण त्रिभुज के कर्ण का वर्ग ज्ञात कारण हो तो उस त्रिभुज के लंब और आधार के वर्ग का योग ज्ञात करके आपस में जो देना होगा। इसका वर्णन बोधायन (Baudhayan) ने कुछ इस प्रकार किया हैं। 

दीर्घचतुरश्रस्याक्ष्णया रज्जुः पार्श्वमानी तिर्यग् मानी च यत् पृथग् भूते कुरूतस्तदुभयं करोति॥

अर्थात “ यदि किसी (त्रिभुज के) विकर्ण पर तानी गई रस्सी का क्षेत्रफल ज्ञात कर लिया जाए तो यह क्षेत्रफल ऊर्ध्व और आधार पर बने क्षेत्रफल के योग के बराबर ही होगा।“


पाइथागोरस प्रमेय का महत्व-

दोस्तों इस प्रमेय का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता हैं। इसके द्वारा हम न केवल इंजीनियरिंग के जटिल समस्याओं को हाल करते हैं बल्कि पहाड़ की ऊंचाई ज्ञात करना हो या खाई की गहराई ज्ञात करना हो या फिर छोटे स्तर पर किसी दीवाल या प्लॉट की नपाई करना हो हर जगह इस सूत्र का भरपूर प्रयोग किया जाता हैं।

रेखागणित, ज्यामिति, त्रिकोणमिति जैसे विषयों में तो इस सूत्र का बहुत प्रयोग किया जाता हैं। यही कारण हैं की जहां हजारों साल पहले ये सूत्र यज्ञ कुंड बनाने के काम आता था वही आज बड़ी समस्याओं को हाल करने के काम मे आ रहा हैं। 

बोधायन (Baudhayan) ने बताया 2 के वर्गमूल को 5 अंकों तक शुद्धरूप से प्राप्त करने का सूत्र वो भी आज से 2600 साल पहले!

दोस्तों आज जहां हमे 2 का वर्गमूल ज्ञात करने के लिए सोचिए कैलक्यूलेटर का सहारा लेना पड़ता हैं वही इस महान मनीषी ने उस समय बिना किसी संसाधन के जटिल सवालों का आसान जवाब दिया वो सच में हैरान करने वाला हैं। 
समस्य द्विकरणी प्रमाणं तृतीयेन वर्धयेत्
तच्च चतुर्थेनात्मचतुस्त्रिंशोनेन सविशेषः।

 श्लोक का अर्थ- "वर्ग का विकर्ण (द्विकरणी)। (भुजा के) प्रमाण में उसके तिहाई भाग और फिर चौथाई भाग जोड़ दें, उसमें से इसके चौतीसवें भाग को घटा दें।"

Baudhayan Formula
पहले 1 में 1/3 जोड़े और फिर इसमें 1/3 का 1/4 यानि 1/12 जोड़कर 1/3*4*34 घटा दे। बस या गया आपका शुद्धतम मान। 



बोधायन (Baudhayan) का अन्य नियम

ये सभी नियम ठीक इसी रूप में आज भी पढ़ाये और प्रयोग किया जाते हैं।

  • आयत के विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं। अर्थात ठीक मध्य बिन्दु पर काटते हैं। 
  • समचतुर्भुज (rhombus) के विकर्ण एक-दूसरे को समकोण पर काटते हैं। 
  • किसी आयत के सभी भुजाओं के मध्य बिन्दुओं को मिलाने से बने वर्ग का क्षेत्रफल, मूल वर्ग के क्षेत्रफल का आधा होता है।
  • किसी आयत की भुजाओं के मध्य बिन्दुओं को मिलाने से एक समचतुर्भुज (rhombus) बनता है जिसका क्षेत्रफल मूल आयत के क्षेत्रफल का आधा होता है।
  • ये सारे नियम आज भी ज्यामिति के सवालों को हाल करने के लिए व्यापक रूप से प्रयोग किए जाते हैं। इनके बिना हम ज्यामिति की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। हम में से लगभग सभी ने इनका उपयोग किया ही होगा।  

बौधायन के द्वारा लिखे अन्य ग्रंथ 

बौधायन सूत्र के अन्तर्गत निम्नलिखित ६ ग्रन्थ आते हैं-
  1. बौधायन शुल्बसूत्र - ३ अध्यायों में इस ग्रंथ में ही पाइथागोरस की प्रमेय का वर्णन 
  2. बौधायन श्रौतसूत्र - यह सम्भवतः १९ प्रश्नों के रूप में है एवं यज्ञों की चर्चा 
  3. बौधायन कर्मान्तसूत्र - २१ अध्यायों में 
  4. बौधायन द्वैधसूत्र - ४ प्रश्न
  5. बौधायन गृह्यसूत्र - ४ प्रश्न
  6. बौधायन धर्मसूत्र - ४ प्रश्नों में

बौधायन शुल्बसूत्र 

शुल्ब का अर्थ होता हैं रस्सी (मापन करने की रस्सी), भारतीय प्राचीन परंपरा का अध्ययन करने से पता चलता हैं। आज के समय 8 शुल्बसूत्र मौजूद हैं। जिसमे से एक है बौधायन का शुल्बसूत्र, इसके अलावा अन्य शुल्बसूत्र भी हैं जैसे मानव शुल्बसूत्र, कात्यायन शुल्बसूत्र, वराह शुल्बसूत्र आदि।

प्राचीन सनातन परंपरा में ऋग्वेद काल से ही यज्ञों का काफी वर्णन मिलता है। वैसे तो यज्ञ करना एक धार्मिक क्रिया है। लेकिन यज्ञ करने के लिए बनाए जाने वाले यज्ञवेदी का निर्माण करने के लिए भारतीय विद्वानों ने बहुत सारे गणितीय सूत्रों का निर्माण किया। जिससे अलग-अलग आकार के यज्ञवेदी का निर्माण संभव हो सके। 

ऐसे ही कई सारी सूत्रों का संग्रह शुल्क सूत्र में मिलता है। जिसमें समकोण त्रिभुज, आयत, वृत्त, वर्ग जैसे बहुत सारे आकर की भुजा, परिमाप तथा क्षेत्रफल को ज्ञात करने का सूत्र बताया गया है। इस पुस्तक की रचना 1370 ईसा पू  के लगभग मानी जाती है।

अगर आप शुल्बसूत्र को और गहराई से जानना चाहते हैं तो हम आपके साथ 6 पेज का शुल्बसूत्र का पीडीएफ़ साझा कर रहे हैं। जो की IGNOU द्वारा लिखा गया हैं। 


बौधायन श्रौतसूत्र 

तैत्तिरीय शाखा के अंतर्गत छह प्रमुख श्रौतसूत्र हैं: बौधायन, भारद्वाज, आपस्तम्ब, सत्याषाढ (हिरण्यकेशि), वैखानस, और वाधूल। इन श्रौतसूत्रों में बौधायन का स्थान सबसे पहला है।

यह एक ऐसा प्राचीन ग्रंथ है। जिसमें यज्ञ पूजा के विभिन्न विधियां की चर्चा की गई है। इस पुस्तक में विभिन्न प्रमुख यज्ञों का वर्णन मिलता है। जैसे वाजपेय, राजसूय, इष्टिकल्प, औपानुवाक्य, अश्वमेधआदि। इसके अलावा इसमें अन्य धार्मिक अनुष्ठानों की चर्चा की गई है। और बहुत सारे नियमों का वर्णन मिलता हैं।


बोधायन मंदिर: भगवान के रूप में बौधायन की पूजा 

बोधायन मंदिर

बोधायन का जन्म पौष कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को वर्तमान बिहार के सीतामढ़ी जिले में हुआ था। आज के समय में वहां बौधायन को भगवान के रूप में पूजा जाता है। उन्होंने जिस पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान-साधना किया था वो वृक्ष आज के समय भी देखा जा सकता हैं। जो की एक आश्चर्य से भर देने वाली बात है। लोक स्मृति के अनुसार बोधायन को दिव्य ज्ञान उनके गुरु सुखदेव महाराज जी से प्राप्त हुआ था।




भारत सरकार से अपील

भारत के महान गणितज्ञ बौधायन (Baudhayan) को वो सम्मान नहीं मिल जो पाइथागोरस को दुनियाभर मिला। सरकार को वैश्विक मंचों पर ये बात उठानी चाहिए और भारत के किताबों में भी इस बात को प्रमुखता से बताना चाहिए की यह एक महान गणितज्ञ बौधायन (Baudhayan) की खोज है पूरे विश्व के लिए न की पाइथागोरस की।

इसे बौधायन प्रमेय के रूप में जाना जाए न की पाइथागोरस प्रमेय के रूप में आप इस बारे में क्या सोचते हैं हमें जरूर बताए। ताकि इस महान गणितज्ञ पूरे विश्व मे सम्मान मिल सके।

Conclusion-

बौधायन एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। जिनके किए गए कामों की वजह से आज खगोल, अन्तरिक्ष, सहित विज्ञान, तकनीकी, एवं गणित की बहुत सारी समस्या को आसानी से हल कर प रहे हैं।

FAQ

प्रश्न- बौधायन कौन थे? उत्तर- बौधायन एक भारतीय गणितज्ञ थे जो कई बौधायन प्रमेय का आविष्कार किया। प्रश्न- बौधायन का जन्म कहाँ हुआ था? उत्तर- बौधायन का जन्म वर्तमान बिहार के सीतामढ़ी में हुआ। प्रश्न- बौधायन क्यूँ प्रसिद्ध हैं? उत्तर- बौधायन पूरे विश्व में एक महान गणितज्ञ के रूप में प्रसिद्ध हैं। प्रश्न- बौधायन प्रमेय क्या है? उत्तर- बौधायन प्रमेय के अनुसार "किसी समकोण त्रिभुज के कर्ण पर बना वर्ग, शेष अन्य भुजा पर बने वर्गों के योग के बराबर होता हैं।"
Anurag Gupta

Anurag Gupta from the spiritual city of Ayodhya. He Is the founder and editor of this web portal. He is a young and versatile personality. He has worked as an engineer in top companies in the country for years and also was a civil service aspirant for years

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